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ग  –    ओहो ..........िशव... िशव.. िशव... मगलाचरण के  समय इतना अमगल.....आप ही बताइये महाशय । म
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                 सोलह स कार यह नाटक आप लोग  को िदखलाऊँ  या इन धत  को स कार िसखाऊँ  ?
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     िश य 1–   आप  या बोल रह े ह   ?
     िश य 2–   ऐसा  य  बोल रह े ह   ?
     िश य 1–   आप  या श  करने वाले ह   ?
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     िश य -    या... य ,... या.. य ....
     ग  –    (दोन  का महँ  ब द करते ह ये) हाँ तो म   यह बता रहा था िक, सोलह स कार  के  अ तग त  थम स कार ह ै ..
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             ”गभा धान स कार”
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     िश य –    या  या गरबा ...? (दोन  नाचने लगते ह)
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     ग  –    अरे िशव.. िशव.. िशव मख ! गरबा नह , गभ   गभ   (पेट बताते ह ये )
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     िश य –   अ छा गभ।  (गभव  ती का अिभनय करता ह ै )
     िश य 1–   गभ    या होता ह ै ग जी ?
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     िश य 2–    य  होता ह ै ग जी ?
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     िश य 1–   कै से होता ह ै ग जी ?
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     ग -    (दोन  को बगल म  दबाकर,महँ  ब द करते ह ये)
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                 ओम! गभा धान स कार। यह स कार स तानो पि  क  कामना से होता ह,ै  शभ मह त  म   दवे   का पजन
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                 करके  द पि  राि  म  स भोग करते ह।   ( ी प ष  का समागम सनकर दोन  िश य ग  के  पास बैठ जाते ह)
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     िश य –   ग जी हमारा भी गभा धान स कार क िजये ना...
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     ग  –    अरे तम दोन  का तो म   अि तम स कार क ँ गा। तो लीिजये   तत ह ै “गभा धान स कार”।
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                                    (िनकल जाते ह)
                                  1. गभा धान स कार
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     (  य)   (नेप य- ज दी करो.. ज दी करो, नई बह  आ रही ह,ै  दौरा लाओ, पजन क  थाली लाओ। गाना बजाना
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     श  करो।)
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                                       (गीत)
             नाका चलना ओ बिचआ नाका चलना िक
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             जैसे बँसवा नवेला ओईसे नाका चलना।
             कै से नोई ना सासजी कै से नोई ना
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             हमर िपताजी के  पोसल  दिे हया नभ लोना जाय  -   -   चाचाजी -  -भयै ा जी -    ।।
                           (सक पािद, प चतत व  का समावेश   य)
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