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२. पसवन-स कार
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(ग पसवन स कार का ............. ोक बोलते ह ये तथा िश य का छ कते ह ये वेश )
ग – मख ! इस कार का दराचरण, या हो गया ह ै त ह? ु
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िश य – ग जी वो िपछले स कार म वो..... जड़ी-बटी......
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ग – अरे व स! वह तो पसवन स कार क औषिध आिद थी।
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िश य– पसवन स कार यह या होता ह ै ग जी ?
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ग जी– अरे व स ! पसवन स कार गभा धान से तीसरे मास म होता ह।ै िजसम आयव द के थ स त-सिहता के
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शारी रक थान के अनसार वटव क जड़ के रस को नािसका म डालते ह िजसे दािहने नािसका म डालो
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तो प और बाय म डालो तो प ी होती ह।ै
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िश य– ग जी ........ मझ े बचाइये ग जी उसने दाय और मनै बाय म े डाल िलया या बाय ...... ी, ी .....बाय
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.................... ?
ग – धीरे बोलो।
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िश य - ग जी या म ी बन जाऊगा ?
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ग जी– अरे नह मख वो गभ म होता ह।ै
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िश य– या गभ वो मटका ....... ?
ग जी– हाँ वो मटका नह गभ था यिक ये नाटक ह ै ना।
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िश य– हा हा हा ...... मटके म गभ हा.....हा.....हा.....
ग जी– अरे चप ...
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िश य– तो वो या था वो शख,पानी,धआ ँ धआ ँ धआ ँ ......
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ग जी– वो प चत व ह,ै प वी, जल, अि न, वाय, आकाश. िजनसे इस शरीर का िनमा ण होता ह।ै
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िश य– तो या मझम भी प चतत व ह।ै
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ग जी- शरीर का िनमा ण तो प चत व से ही होता ह,ै ई र ही जाने, तम म कौन सा त व ह ै? मा कर । अगला स कार ह ै
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सीमा तो नयन स कार।
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३. सीम तो नयन-स कार
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िश य- छी......म तो नयन...अब ये या ह ै ग जी
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ग जी- मख, सीम त मतलब होता ह ै के श और उ नयन का ता पय होता ह ै ऊपर उठाना।
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िश य– या सीम त और य उठाना ग जी ?
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ग जी– अरे ध , गभ से सातव मास म गभ थ िशश के मि त क का िवकास होता ह।ै
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िश य– तो या मरे े मि त क का भी िवकास ह आ होगा
ग जी– िशव.. िशव.. िशव.. जब तझम मि त क ही नह तो िवकास कहाँ ?
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(पजन क थाली िलये ह ये ि य का वेश)
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[सीमा तो नयन कमि ण – ी गणशे ाि बका या नमः (फल म सब लगाकर द ेदते ा ह)ै माग (सीम त) िव यास क िजये, वेणी
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ब धन, (ओम, वीरसः व भव, जीवसः व भव, जीवप नी व भव) थाली म जल डािलये – अ य ।]
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नटी– पि डतजी पजन स प न ह आ, अब हम गोदभराई क र म कर गे, िजसम कोई प ष नह होना चािहये।
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(सारे प ष बाहर िनकल जाते ह)
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