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ीनाटयम ्
(The Group of Sanskrit Drama)
वीणापािण स कत सिमित, भोपाल
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आलेख
षोडश स कार
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उप म
स कार श द का अथ ह ै– िकसी वि , ि थित, यि , स था या यव था आिद क रचना और व प म पहले
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क अपे ा और अिधक प र कार। दसरे श द म दोषय व त को दोष-रिहत कर दने ा, कमी परी कर दने ा, उसम अितशय का
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आधान कर दने ा ही स कार कम ह।ै
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वैिदक-स कित म सोलह स कार का िवधान ह,ै इसका अिभ ाय यह ह ै िक भारतीय-जीवन-प ित म सोलह
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बार मानव को बदलने का अथा त उसके नव िनमा ण का यास िकया जाता ह।ै िजस कार वणक ार अश वण को अि न म
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डालकर उसका स कार करता ह,ै उसी कार बालक के उ प न होते ही उसे स कार क भ ी म डालकर व उसके दोष को
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हटाकर उसम स ण के आधान (समावेश) के िनिम जो य न िकया जाता ह,ै उसे वैिदक िवचारधारा म 'स कार' श द से
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अिभिहत िकया गया ह।ै महिष चरक क उि ह-ै स कारो िह गणा तराधानम यते । अथा त मानव म iwoZ से
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िव मान दग ण को िनकालकर उनके थान पर स ण का आधान कर दने े के नाम 'स कार' ह।
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इस कार व ततः 'स कार' मानव जीवन के नव-िनमा ण क एक स दर योजना ह।ै स कार मानव-जीवन के नव-
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िनमा ण क योजना ह।ै व ततः यह एक आ याि मक योजना ह।ै हम दखे ते ह िक कोई भी िवकासाकाँ ी दशे योजनाओ क
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Ja`[kyk का अवल बन लेकर आगे बढ़ने का य न करता ह।ै स च ेमानव का िनमा ण करने के िलए आ याि मक योजना का
अवल बन लेना अिनवाय ह,ै और उसी योजना का िवधान वैिदक िवचारधारा म 'स कार' नाम से िकया गया ह,ै तथा वह
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भारतीय-जीवन प ित का एक अप रहाय अथवा सवा िधक मह वपण अग ह।ै िन कषत ः वैिदक-स कित क सबसे बड़ी
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योजना और उस योजना का के िब द स कार ारा मानव का नव-िनमा ण ह।ै
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भगवn~गीता क “निह कि त णमिप जात ित यकमक त” इस उि के अनसार कोई ाणी णमा के
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िलए भी िबना कम िकये नह रह सकता। काियक, वािचक अथवा मानिसक प से उसे कितज गण के परवश होकर
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कोई न कोई कम करना ही पड़ता ह,ै और येक कम अपना एक अ , अपनी एक रेखा, अपना एक स कार
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मि त क-पटल को छोड़ता चला जाता ह।ै अिखल िव का िनय ण काय कारण भाव के िनयम से हो रहा ह।ै कोई भी
काय िबना कारण के नह हो सकता “कारण िबना काया भावः” और येक कारण का काय भी
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