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अव यमवे  होगा, िजसे हम आज 'कारण' कहते ह,   वह िपछले ज म का 'काय ' होता ह ैऔर िजसे हम आज 'काय ' कहते ह,   वह
     अगले ज म का 'कारण' बन सकता ह,ै  इस  कार काय -कारणभाव क   यवLथा के  अधीन कम  क  Ja`[kyk बनती चली जाता

     ह,ै  इसी कम   शखला का lw{e:i 'स कार' कहलाता ह,ै  इस शखला म   माता-िपता के  'स कार' भी र स ब ध के   भाव से
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     िमल जाते ह,   और उपय   शभ-अशभ, सत-असत या अ छे बरे कमज   य स कार  के  अनसार मानव जीवन क   वि याँ भी
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     (िज ह  िनयित भी कहा जाता ह)ै  शभ-अशभ सत-असत या अ छी-बरी बनती रहती ह।
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            वैिदक-स कित का कथन ह ै िक आ मा के  इस 'स म-शरीर' या 'कारण शरीर' म   अथा त स कार  के  शरीर म
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     ज मधारण करने के  बाद तो स कार आते ही ह,   ज म लेने से पहले भी, जब वह माता के  गभ  म  होता ह,ै तब भी नवीन स कार
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                                                                         ं
     डाले जा सकते ह।   'स म शरीर' या 'कारण शरीर' म   'नये स कार  का पड़ जाना' ही स कार  क  प ित का रह य ह।ै  नये
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     स कार   ारा ही पराने स कार  को बदला जा सकता ह।ै  तब आ मा के  एक-एक कम   क  समी ा क  आव यकता नह  रह
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     जाती ह,    य िक ज म-ज मा तर के  कम  का िनचोड़ ही तो 'स कार' ह।ै  'स कार' म   एक कम   नह ,   यत अनेकानेक- कम
     का सि म ण रहता ह ैउसके  भोग से ही सम त कम  का भोग हो जाता ह।ै  व  क  शाखाओ तक रस पह चाने के  िलए एक-एक
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     शाखा (टहनी) म   रस डालने क  आव यकता नह  रहती, उसके  मल म   रस डालने से   येक शाखा,   येक प  े म   रस पह च  ं
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     जाता ह।ै
            इस  कार कम  क  जिटल सम या का समाधान वैिदक-स कित ने स कार   ारा िनकालने का सराहनीय  य न
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     िकया ह ैऔर मानव के  नव-िनमा ण के  िवचार को ज म िदया। अतएव वैिदक स कित के  सोलह स कार मानव के  नव-िनमा ण
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     का सम जवल  यास ह।ै
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            स कार आ मा के  ज म धारण करने के  पव  से ही  ार भ हो जाते ह।   कछ ज म  हण करने के  प ात िकये जाते ह।
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     ज म  हण से पव  िजन स कार  का िवधान िकया गया ह,ै  उनम  सबसे  थम स कार 'xHkkZ/kku' स कार ह,ै  वह स कार, िजसे
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     आज का जड़वादी जगत िवषय-ति  का साधन मा  समझता ह।ै  इस स कार को वैिदक-स कित नवीन आ मा के  आवाहन
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     का ifo= य  मानती ह।ै
     स कार  क  स या
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            िविभ न आचाय  ने िविभ न स याओ म   भी स कार  को प रगिणत िकया ह,ै  अधोिलिखत िववरण से िविदत
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     होगा िक िकस-िकस आचाय  ने कौन-कौन से स कार माने ह-
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         1.  आ लायन ग स म – १. िववाह, २. गभल   भन, ३. पसवन, ४. सीम तो यन, ५. जातकम,   ६.
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            नामकरण, ७. अ न ाशन, ८. चौल (चडाकम)  , ९. उपनयन, १०. वेदार भ, ११. गोदान (के श त), १२.
            समावत न, १३. अ  येि ।
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         2.  कोषीतिक  (शाखायन)  ग स म-  १.  िववाह,  २.  गभा धान,  ३.  पसवन,  ४.  गभर   ण,  ५.
            सीम तो नयन, ६. जातकम,   ७. अ न ाशन, ८. चडाकम,    ९. गोदान, (के शा त), १०. उपनयन, ११. वेदार भ,
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            १२. समावत न।
         3.  पा करग स म (का यायनप रिश सिहतम)- १. िववाह, २. चतथ कम  (गभा धान), ३. पसवन,
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            ४. सीम तो नयन, ५. जातकम,   ६. नामकरण, ७. िन  मण, ८. अ न ाशन, ९. चडाकरण, १०. कणव  ेध, ११.
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            उपनयन, १२. वेदार भ, १३. के शा त, १४. समावत न।
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